क्यूँ सोते हो
जब के ये जिंदगी एक नींद है
क्यूँ आंखे बंद करते हो
जब के जो दीखता है वो अँधेरा ही है
क्यूँ सपने देखते हो
जब तुम्हे पता है के वो सच होने नहीं वाले
पर इन सवालो का जवाब तो मुझे भी पता नहीं
और जिंदगी सोने के लिए भी नहीं
सिर्फ इतना पता है सपने ही उम्मीद होते है
सुखी जिंदगी की तस्वीर होते है
नहीं सच्चाई में कोई मिले
पर सपनोमे सब आपने ही होते हैं .
1 comment:
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